
बड़े लोग बैठे आपस में बातचीत कर रहे थे । रघुनंदन जी और राजेंद्र जी पुरानी बातों को याद कर रहे थे, हालांकि मनीषा की मौत का दुख दोनों के दिलों में कहीं न कहीं आज भी ताज़ा था । बलदेव जी देवराज जी और अरविंद जी भी पारिवारिक और गांव से जुड़े कुछ मसलों पर बात कर रहे थे ।
इसी बीच, राजेंद्र कोठारी अपनी पोतियों की तारीफों के पुल बांधने लगे । "चौधरी साहब," उन्होंने रघुनंदन जी से कहा, "मेरी दोनों पोतियां समझदार हैं, नायरा पढ़ी-लिखी और सुशील है, घर-परिवार की जिम्मेदारी को बखूबी निभाएगी। और जीवा... वो थोड़ी चंचल जरूर है, लेकिन दिल की बहुत साफ है "।

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