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Naira & Ziva come to know the truth

वहीं धरणिया गांव की सुबह धीमी और शांत थी । नायरा और जीवा, घर की छत पर सो रही थीं । गर्मी शुरू हो चुकी थी, लेकिन सुबह की हल्की हवा में अभी भी ठंडक घुली हुई थी, जो छत पर सोने के लिए एकदम सही मौसम बना रही थी ।

नीलिमा जी कई बार आवाज़ दे चुकी थीं -"नायरा... जीवा... उठो बेटा, कब तक सोओगी?

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Sia

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